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गिर जाना मेरा अंत नहीं ।

 गिर जाना मेरा अंत नहीं पर मे परवाज़ की शक्ति है , मन में आगाज़ की शक्ति है , जो चोंच में  तिनका डाले , डाली पर दो आँखे तकती हैं , वो परख रही है , तूफ़ां के बाज़ू में कितनी ताक़त है , वो देख रही है दूर- दूर तक नाम मात्र की राहत है , पैरों से धक्का डाली पर, पंखों से हवा धकेली है,  वो आसमान में तुफानों से, लड़ती जान अकेली है,  पर लगी साँस जब फूलने तो तूफ़ां ने मौका लपक लिया , आसमान की उमीदों को, ला धरती पर पटक दिया , पर झाड़ रही है धूल परों से , रगों में गज़ब रवानी है , चोट खाने के बावजूद उड़ने की ललक पुरानी है , तब रखो घोषणा अपनी- अपनी, अपने- अपने कंठों में,  ग़लत करूंगा साबित सबको , यहां कोई अरिहंत नहीं , गिर जाना मेरा अंत नहीं ,गिर जाना मेरा अंत नहीं | मुखड़े पर धूल लगी माना , माथा फूटा माना लेकिन , गालों पर थप्पड़ खाये हैं , जबड़ा टूटा माना लेकिन , माना के आंते ऐंठ गई , पसलियों से लहू निकलता है , घिस गया है कंकड़ में घुटना , मिर्च सरीखे जलता है , माना के साँसें उखड़ रही, और धक्का लगता धड़कन से , लो मान लिया की काँप गया है , पूर्ण बदन अंतर्मन से , पर आँखों से अंगारे , मैं नथ...