सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नव वर्ष कविता

                नव वर्ष चारों तरफ हो खुशियाँ ही खुशियाँ मीठी पुरनपोली और गुजियाँ ही गुजियाँ द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात आसमान में हर तरफ पतंगों की बारात सभी को शुभ को नव वर्ष हर बार ऋतू से बदलता हिन्दू साल नये वर्ष की छाती मौसम में बहार बदलाव दिखता पृकृति में हर तरफ ऐसे होता हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार हिंदू नव वर्ष की हैं शुरुवात कोयल गाये हर डाल- डाल पात-पात चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा का हैं अवसर खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं हम यूँही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाते हिन्दू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार वृक्षों पर सजती नये पत्तो की बहार हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार ऐसा सजता हैं गुड़ी का त्यौहार मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार नौ दुर्गा के आगमन से सजता हैं नव वर्ष ग...

Hindi nav varsh

भारतीय नव वर्ष संपादित करें भारत  के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है।  पंजाब  में नया साल  बैशाखी  नाम से १३ अप्रैल को मनाई जाती है।  सिख  नानकशाही कैलंडर के अनुसार १४ मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा  तमिळ नव वर्ष  भी आता है। तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे  उगादी  (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह  चैत्र  महीने का पहला दिन होता है। तमिल नया साल विशु १३ या १४ अप्रैल को  तमिलनाडु  और  केरल  में मनाया जाता है। तमिलनाडु में  पोंगल  १५ जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है। कश्मीरी कैलेंडर  नवरेह १९ मार्च को होता है। महाराष्ट्र में  गुड़ी पड़वा  के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव  चेटी ...

नागार्जुन की कविता - "बाघ आया उस रात "

    बाघ आया उस रात   " वो इधर से निकला उधर चला गया ऽऽ ” वो आँखें फैलाकर बतला रहा था-  “ हाँ बाबा , बाघ आया उस रात ,  आप रात को बाहर न निकलो ! जाने कब बाघ फिर से आ जाए ।"  “ हाँ , वो हीऽऽ ! वो ही जो उस झरने के पास रहता है वहाँ अपन दिन के वक्त गए थे न एक रोज़ ? । बाघ उधर ही तो रहता है बाबा , उसके दो बच्चे हैं  बाघिन सारा दिन पहरा देती है बाघ या तो सोता है  या बच्चों से खेलता है . . . " दुसरा बालक बोला - " बाघ कहीं काम नहीं करता  न किसी दफ्तर में न कॉलेज में ऽऽ ” छोटू बोला -  स्कूल में भी नहीं . . . "  पाँच - साला बेटू ने हमें फिर से आगाह किया “ अब रात को बाहर होकर बाथरूम न जाना !"                                     -  नागार्जुन      

Poem of R.L. Stevenson

                The Swing How do you like to go up in a swing, Up in the air so blue? Oh, I do think it the pleasantest thing, Ever a child can do! Up in the air and over the wall, Till I can see so wide, Rivers and trees and cattle and all Over the countryside- Till I look down on the garden green, Down on the roof so brown- Up in the air I go flying again, Up in the air and down.                                    -R.L.Stevenson